अर्थ- हे गिरिजा पुत्र भगवान श्री गणेश आपकी जय हो। आप मंगलकारी हैं, विद्वता के दाता हैं, अयोध्यादास की प्रार्थना है प्रभु कि आप ऐसा वरदान दें जिससे सारे भय समाप्त हो जांए।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥
अर्थ- हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती।
ब्रह्म – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट here – वेषं, विभुं, वेदपारं ।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
न कश्चित् पुत्रस्य वंचनं कर्तुम् इच्छति।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
स पुत्रं धनं धान्यमित्रं कलत्रं विचित्रं समासाद्य मोक्षं प्रयाति ॥
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सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥